बुरी आदतें
बुरी आदतें वे हैं; जो निकृष्ट योनियों में रहने तक तो जीवन के लिए उपयोगी थीं, पर अब मानव जीवन का उत्तरदायित्व सिर पर आते ही अनुपयोगी हो गईं। छोटे बालक बिना लँगोटी नंग-धंडंग बने रह सकते हैं, पर बड़े होने पर उन्हें मर्यादाओं का पालन करना पड़ता है। पशु-प्रवृत्तियों में नैतिक या सामाजिक बंधन नहीं होते, मनमरजी का आचरण करने की छूट रहती है, पर मनुष्य पग-पग पर कर्तव्यों से बँधा है। वह ऐसा स्वेच्छाचार नहीं बरत नहीं सकता है; जिसमें वैयक्तिक मर्यादा और समाज-व्यवस्था का उल्लंघन होता है तथा दूसरों के साथ सद्व्यवहार का हनन।
Bad habits are those; Those who were useful for life till living in the worst species, but now the responsibility of human life has become useless as soon as it comes to the head. Small children can remain naked without a loincloth, but when they grow up they have to follow the limits. There are no moral or social restrictions in animal instincts, there is freedom to behave according to will, but man is bound by duties at every step. He cannot exercise such arbitrariness; In which there is a violation of personal dignity and social order and violation of good behavior with others.
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महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...