जीवन-साधना
जीवन-साधना की दृष्टि से काम तत्व की वह है, जिसके संयम, साधना, संघर्ष, पराभव एवं विजयी गाथाओं से हमारे शास्त्र भरे पड़े हैं। आश्चर्य नहीं कि जहाँ आधुनिक विज्ञान अपने बचपन में काम तत्व की आधी-अधूरी समझ के आधार पर अधकचरे निष्कर्ष लिए हुए हैं, ऋषिचिंतन में इसको लेकर किसी तरह के भ्रम की स्थिति नहीं है। अपने शास्त्रचिंतन एवं आध्यात्मिक विरासत से अनभिज्ञ पीढ़ी, जो आधुनिक वैज्ञानिक एवं भौतिक चिंतन की गोद में पली-बढ़ी है, उसकी सोच आज भी फ्रायडवादी मनोविज्ञान से प्रभावित है।
From the point of view of life-practice, Kama is the one whose scriptures are filled with stories of restraint, practice, struggle, defeat and victory. It is not surprising that while modern science in its childhood has made half-hearted conclusions on the basis of half-understanding of the Kama element, there is no confusion about it in sage thinking. The generation, ignorant of its philosophical and spiritual heritage, which has grown up in the lap of modern scientific and material thinking, is still influenced by Freudian psychology.
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महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...