बुद्धिमान व्यक्ति
बुद्धिमान व्यक्तियों का सहज स्वभाव होता है कि वे किसी की बुराई की अपेक्षा अच्छाई पर अधिक दृष्टि रहते हैं। यथासंभव बुराई को अदृष्टिगोचर ही कर जाते हैं और यदि उसके प्रकाशन की आवश्यकता भी पड़ती है तो उसकी चर्चा निंदा के रूप में नहीं, सावधानी के रूप में करते हैं। वह भी इस ढंग से कि पात्र पर उसका प्रतिक्रिया नहीं, सृजनात्मक प्रभाव पड़े। गुणों को आगे रखकर किसी के अवगुणों की चर्चा व्यक्ति को सुधार की ओर करती है। इस प्रकार सुधरा हुआ व्यक्ति सबसे पहले उस सज्जन व्यक्ति का ही भक्त बन जाता है।
It is the natural nature of intelligent people that they look more on the good than on the evil of someone. As far as possible, they make evil invisible and if there is a need for its publication, then discuss it not as a condemnation, but as a caution. That too in such a way that he does not react to the character, but has a creative effect. Keeping the qualities ahead, the discussion of one's demerits leads the person towards improvement. Thus the reformed person first becomes a devotee of that gentleman.
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सत्यार्थप्रकाश मार्गदर्शक यदि किसी को मोक्ष के विषय में जानना हो, तो सत्यार्थप्रकाश का नवम समुल्लास ध्यान से पढना चाहिए। इस सम्बन्ध में बताया गया है कि योग साधना से ही मोक्ष सम्भव है। चित्तवृत्तियों का निरोध करने पर ही आत्मा के वास्तविक स्वरूप का पता चलता है। मोक्ष प्राप्ति को सबसे बड़ा पुरुषार्थ...
महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...