शिष्टाचार और सद्व्यवहार
जिस घर का जैसा अच्छा या बुरा वातावरण होता है, उसके बालक अधिकांश उसी में ढल जाते हैं। इसलिए यदि हम स्वयं शिष्टाचार और सद्व्यवहार के नियमों का पालन करने लगेगें तो बालकों पर उसका प्रभाव पड़े बिना नहीं रह सकता। अशिष्ट लोगों के संसर्ग और कुसंगति से बालकों को अलग रखने की सावधानी भी रखी जाए। हमको यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए की बालकों की मनोभूमि में जैसा बीज आरम्भ में बो दिया जाता हैं, वैसा ही फल बड़े होने पर उत्पन्न होता है।
Whatever the good or bad environment of the house, most of its children get accustomed to it. Therefore, if we ourselves start following the rules of etiquette and good behavior, then it cannot remain without its effect on the children. Care should also be taken to keep the children away from the contact and mischief of rude people. We should understand very well that the kind of seed that is sown in the mind of children in the beginning, the same fruit is produced when they grow up.
Manners and Goodwill | Arya Samaj Annapurna Indore, 9302101186 | Legal Marriage Helpline Conductor Annapurna Indore | Validity of Arya Samaj Marriage Annapurna Indore | Arya Samaj Mandir Marriage Helpline Annapurna Indore | Arya Samaj Pandits for Havan Annapurna Indore | Court Marriage Annapurna Indore | Legal Marriage Helpline Consultant Annapurna Indore | Validity of Arya Samaj Marriage Certificate Annapurna Indore | Arya Samaj Mandir Shaadi Annapurna Indore | Arya Samaj Pandits for Legal Marriage Annapurna Indore | Court Marriage Helpline Annapurna Indore | Marriage Booking Annapurna Indore | Vastu Correction Without Demolition Annapurna Indore | Arya Samaj Mandir Shadi Annapurna Indore | Arya Samaj Pandits for Pooja Annapurna Indore | Gayatri Mandir Annapurna Indore | Aarya Samaj Annapurna Indore | Vedic Pandits Helpline Annapurna Indore | Arya Samaj Marriage Indore
महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...