मनोबल
उतावली में कितने ही व्यक्ति एक काम भारी उत्साह के साथ पकड़ते हैं और जब हथेली पर सरसों नहीं जमती तो अधीर हो जाते हैं। उस निराशा में जो कर रहे थे, उसे छोड़ बैठते हैं और फिर कोई नया काम अपनाते हैं। उसमें भी देर तक मन नहीं लगता और इस प्रकार एक के बाद दूसरे अधूरे काम छोड़ने और उन असफलताओं का दोष जिस-तिस पर लगाते हुए भाग्य को कोसते हैं। इस प्रकार मनोबल टूट जाता है और थोड़े समय में, सामान्य परिश्रम से बन पड़ने वाले काम भी पूरे नहीं हो पाते।
In a hurry, many people take up a task with great enthusiasm and become impatient when the mustard does not settle on the palm. In that despair, what they were doing, they leave it and then adopt some new work. In that too, he does not feel like for a long time and in this way, he curses fate, leaving one unfinished task after another and blaming those failures on him. Thus morale breaks down and in a short span of time, even the tasks that can be done by ordinary hard work are not completed.
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महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...