चिकित्सा पद्धति
कुछ प्रतिपादनों में विचार की तुलना धूल के कणों से भी की गई है। वे कहाँ से आते हैं, कैसे आते और अन्तर्व्यवस्था को प्रभावित कर चले जाते हैं, यह पता लगाना कठिन है। उन्हीं प्रतिपादनों के अनुसार विचारों की सघन और सयुंक्त कर लिए जाय, तो उन्हें चट्टान की तरह मजबूत और तीर की तरह पैना किया जा सकता है। वे रायफल की गोली की तरह तेज मार भी कर सकते हैं और लक्ष्य को बेधकर पार तक जा सकते हैं। जापान से निकली और विश्वभर में फैली स्पर्श चिकित्सापद्धति 'रेकी' में इस ऊर्जा का प्रचुर उपयोग किया जाता है।
In some renderings the idea has even been compared to dust particles. Where they come from, how they come and go, affecting the intersystem, is difficult to ascertain. If thoughts are condensed and combined according to the same principles, they can be made strong like a rock and sharpened like an arrow. They can also shoot fast like a rifle bullet and can penetrate the target and go beyond. This energy is extensively used in 'Reiki', a touch therapy system that originated from Japan and spread around the world.
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महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...