विश्राम का अर्थ
रक्तचाप, हृदयघात, उन्माद आदि भयंकर रोग थकावट के वरदानस्वरूप मिलते हैं। शारीरिक-मानसिक थकावट ही है, जो लोगों को गंगातट पर निवास करने, शैल-शिखरों पर जाने, गाँवों की ओर आकर्षित होने और संसार से विरक्त होने के लिए प्रेरित करती हैं। कार्य करने से शारीरक शक्ति का उतना ह्रास नहीं होता, जितना जल्दबाजी और चिंता से। विश्राम का अर्थ यह नहीं है कि हम बैठकर या लेटकर थकान को दूर करें, किंतु मन में दुश्चिंताएँ घूमती रहें। विद्वेष, क्रोध, प्रतिशोध और हिंसा की भावनाएँ उठ रही हों, तो शरीर से विश्राम करते हुए भी आराम न मिलेगा।
Dreadful diseases like blood pressure, heart attack, mania etc. are found as a boon of exhaustion. It is physical-mental exhaustion that drives people to reside on the banks of the Ganges, to visit rock-tops, to be attracted to villages and to be detached from the world. There is no loss of physical strength due to work, as much as haste and anxiety. Relaxation does not mean that we remove fatigue by sitting or lying down, but that worries keep swirling in the mind. If feelings of hatred, anger, vengeance and violence are arising, then even while resting from the body, there will be no relief.
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सत्यार्थप्रकाश मार्गदर्शक यदि किसी को मोक्ष के विषय में जानना हो, तो सत्यार्थप्रकाश का नवम समुल्लास ध्यान से पढना चाहिए। इस सम्बन्ध में बताया गया है कि योग साधना से ही मोक्ष सम्भव है। चित्तवृत्तियों का निरोध करने पर ही आत्मा के वास्तविक स्वरूप का पता चलता है। मोक्ष प्राप्ति को सबसे बड़ा पुरुषार्थ...
महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...