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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज संस्कार केन्द्र अन्नपूर्णा इन्दौर" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित इन्दौर में एकमात्र केन्द्र है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आर्यसमाज संस्कार केन्द्र अन्नपूर्णा इन्दौर के अतिरिक्त इन्दौर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Annapurna Indore is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Annapurna Indore is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Madhya Pradesh. We do not have any other branch or Centre in Indore. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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हीनता-बोध
स्वामी विवेकानंद ने लोगों हीनभावना दूर करने के लिए शिक्षा दी है। उनका कहना था - हम स्वयं को शरीर नहीं, आत्मा समझें ऐसी आत्मा, जो शक्तिशाली परमात्मा का अंश है। इससे हीनता-बोध समाप्त होता है और आत्मविश्वास बढ़ता है। इसलिए कभी भी ऐसी सोच न रखें कि मैं कमजोर, पापी या दुःखी हूँ। संयम-अनुशासन रखें - खुद पर नियंत्रण रखना संयम कहलाता है। संयमी व्यक्ति सारे व्यवधानों के बीच भी अपने कार्यों को सहजता से करते हुए आगे बढ़ता रहता है। सेवा की भावना, शांति, कर्मठता आदि गुण, संयम से आते हैं।

Swami Vivekananda has given education to remove the inferiority complex of the people. He said that we should not consider ourselves as a body, but a soul, such a soul, which is a part of the mighty God. This eliminates inferiority complex and builds self-confidence. So never think that I am weak, sinful or sad. Have restraint-discipline - Controlling yourself is called restraint. A self-restrained person keeps on moving forward by doing his work smoothly even in the midst of all the obstacles. The spirit of service, peace, hard work, etc., come from restraint.

  • महर्षि दयानन्द की प्रतिज्ञा

    महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...

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  • सकारात्मक सोच का विकास

    सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...

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