मित्रता का संबंध
मित्रता का संबंध मनुष्य के लिए वह विश्वासपूर्ण वातावरण पैदा करता है, जहाँ वह अपने आंतरिक तथा बाह्य जीवन की अभिव्यक्ति निस्संकोच रूप से कर सकता है। मित्रों के सहयोग में मनुष्य की जीवनयात्रा सहज, सरस तथा निरापद हो जाती है। जबकि मित्रों से रहित व्यक्ति का जीवन बड़ा ही अकेला, सुना-सुना और भयावह बनकर रह जाता है। संसार में जिसे सच्चा मित्र मिल गया, उसने मानों वह सबकुछ पा लिया, जो जीवन-पथ पर आवश्यक पाथेय के रूप में उपयोगी सिद्ध होता है।
The relation of friendship creates that confident environment for man, where he can freely express his inner and outer life. With the help of friends, the journey of human life becomes easy, smooth and safe. Whereas the life of a person without friends becomes very lonely, heard and frightening. One who has found a true friend in the world, it is as if he has got everything which proves useful as a necessary pathya on the path of life.
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महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...