गौ हत्या बंद हो सकेगी क्या - 3
दिल्ली-कोलकत्ता के राष्ट्रीय राजमार्गों, क्रमांक दो पर पड़ने वाला मामूली सा उपनगर सैद राजा है, जो आम लोगों के लिए तो उत्तरप्रदेश के वाराणसी जिले से बिहार में प्रवेश का दरवाजा हो सकता है परन्तु कुछ खास लोगों के लिए यह भारत की प्रमुख पशुसम्पदा, गाय के कारोबार से खास मुनाफा कमाने का केंद्र है। वाराणसी के उच्च पुलिस अधिकारयों के अनुसार हरियाणा, पंजाब, राजस्थान तथा उत्तरप्रदेश से प्रतिदिन ट्रकों द्वारा हजारों गाय-बैल, बछड़े सैद राजा पहुचांए जाते हैं। उत्तरप्रदेश में सैयद राजा पशुओं और विशेषकर गायों की तस्करी की सबसे बड़ा केंद्र है। प्रतिदिन हजारों पशुओं की तस्करी इस शहर के रास्ते से की जाती है जिससे तस्करों को करोड़ों का मुनाफा होता है। इस धंधे से जुड़े लोगों से पता चला है कि अरब देशों में प्रतिदिन हजारों क्विंटल मांस की मांग है और जो दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। यहां के बैल-गाय जिन की कीमती यहां हजारो-दो हजार हो सकती है, दुबई पहुंचे पर पंद्रह और बीस गुणा बढ़ जाती है। इन सब पर तुर्रा यह कि इस धंधे को करने वाले अस्सी प्रतिशत लोग हिन्दू है। उत्तरप्रदेश के गाजियाबाद में आज भी तीन गैरकानूनी मांस परिशोधन संयंत्र हैं, जहां से गोमांस को सीधा अरब देशों को भेजा जाता है। यह उत्तरप्रदेश वह प्रदेश है जहां गोरक्षा की दुहाई देने वाली भारतीय जनता पार्टी की दो बार सरकार रह चुकी है और वह भी उपरोक्त गोमांस की तक्सरी या अवैध निर्यात पर कोई भी पाबंदी नहीं लगा सकी। भाजपा देश पर भी सात वर्ष शासक कर चुकी है परन्तु गोवधबंदी कानून बनाना तो दूर अपने शासनकाल में लोकसभा में विधेयक तक भी प्रस्तुत नहीं कर सकी। हाथी के दांत खाने के और होते है तथा दिखाने के और होते हैं। सत्ता हथियाने तक अनेक गर्मागर्म नारों से वोटरों को गर्माया जाता है परन्तु सत्ता की दहलीज पर कदम रखने के बाद चुनावी नारों से भरे चुनावी घोषणा पत्र को पार्टी कार्यालयों की अलमारियों में बंद करके रख दिया जाता है। साफ जाहिर है कि इस देश में किसी दल की सरकार भी गोमांस की तस्करी करने वालों की अनदेखी कर, गोवध-बंदी कानून बनाने की जोखिम मोल नहीं ले सकती। कानून तो दूर गोमांस का अवैध धंधा करने वालों पर पाबंदी तक भी नहीं लगा सकती।
तो फिर गाय का अमूल्य जीवन कैसे बचे? - गाय का मांस खाने वाले लोग बताते हैं कि गोमांस अत्यंत स्वादिष्ट, पौष्टिक, स्वास्थ्यवर्धक, गुणकारी औषधियुक्त रसायन आदि अनेक विशेषताओं से भरपूर भोजन है। मांस खाने वालों ने, गाय के मांस को, अन्य सब प्राणियों के मांस से बढ़िया मांस बताया है। विशेषकर मुसलमानों से जब यह बात जानी गई तो उनका कहना था कि मुस्लिमों के विरुद्ध जो यह प्रचार किया जाता है कि वे गैर मुस्लिमों को चिड़ाने या उनकी भावनाएं आहत करने के लिए गाय का मांस खाते हैं तो यह एक निराधार तथा भ्रामक प्रचार है। गांव में रहने वाले किसान मुसलमान या दूसरे मुसलमान भी गाय रखते हैं या रखते थे। और वे उसका पालन पोषण उसी प्रकार करते रहे जिस प्रकार गैर मुस्लिम करते हैं या करते थे।
Motivational speech on Vedas by Dr. Sanjay Dev
वेद कथा -13 | Explanation of Vedas | बालक निर्माण के वैदिक सूत्र एवं दिव्य संस्कार-2
मुसलमानों और गैर मुसलमानों में अंतर केवल यह रहा है कि मुसलमानों का गाय तो क्या किसी भी पालतू प्राणी से भावनात्मक रिश्ता कभी नहीं रहा जो भावनात्मक लगाव हिन्दुओं या अन्य समुदायों का प्राणियों के प्रति रहा है या है। मुसलमान मनुष्य को छोड़कर संसार के प्रत्येक प्राणी को प्रयोग एवं भोग की वस्तु भर मनाता या जानता रहा है। इन वन्यप्राणियों के मारने में सरकारी पाबंदी नहीं है और उसका मूल्य मारने के बाद अधिक हो जाता है, मुसलमानों के लिये उसे मारने में न तो धर्म आड़े आता है और न ही दया या करुणा। मुसलमानों इस प्रकार के कृत्य को गैर मुस्लिम कुकृत्य की संज्ञा दें या उन्हें ऐसा करने पर दुत्कारें तो उनकी मुसलमान अनदेखी कर देता है। कौन धर्म अच्छा है या कौन धर्म अच्छा है या कौन मजहब श्रेष्ठ है, कौन दयावान है या कौन निर्दयी है, ये सब विवेक, समझ, सोच या ईश्वर रहस्य के ज्ञान की प्राप्ति पर निर्भर करता है। जहां तक गाय के मांस का सम्बन्ध है, गाय के मांस से अवैध तरीके से लोग तस्करी भी करते हैं और वैध तरीके से व्यापार भी। सरकार अपने माध्यमों से भी गाय के मांस का निर्यात करती है, दूर देशों से भारत में आने वाले शासनाध्यक्षों या उच्च प्रशासनिक अधिकारीयों को जो अपने भोजन में गाय के मांस की इच्छा व्यक्त करें तो भारत सरकार उन्हें भोजन में गाय का मांस भी परोसती है या परोसती रही है। इस प्रकार गाय का मांस खाने को भी इस देश में भी और वेदशों में कोई अंतर नहीं है। यह भी आवश्यक नहीं है कि गाय या अन्य जीवों का मांस लोग केवल अपनी जीभ के स्वाद या स्वास्थ्य की दृष्टि से खाते हों। कुछ लोग मांस अन्न के अभाव में खाते हैं। जो भी हो वर्तमान परिस्थिति से यह प्रतीत होता है गाय की हत्या पर प्रतिबंध लगता नजर नहीं आ रहा। - ओमप्रकाश पत्रकार
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People who eat cow meat say that beef is a very tasty, nutritious, healthy, beneficial drug, rich in chemicals etc. Meat eaters have described cow meat as superior meat to the flesh of all other beings. When this was known to the Muslims in particular, they said that the propaganda against Muslims that they eat cow meat to tease non-Muslims or hurt their feelings is a baseless and misleading propaganda.
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