अन्तर की खोज-बीन
अन्तर की खोज-बीन करने पर एक ही निष्कर्ष निकलता है कि मात्र क्रियाओं को पूरा कर लेना ही पर्याप्त नहीं है। उसमें भावना और संकल्प का पुट नहीं जुड़ा तो अभीष्ट परिणाम निकलना संदिग्ध ही बना रहेगा। अपेक्षाकृत पहलवान से अधिक श्रम करते हुए भी मजदुर द्वारा सामर्थ्य अर्जित न कर पाने का एक ही कारण कि उसकी क्रियाओं में संकल्प और भावना का समावेश नहीं होता। फलतः वह बलिष्ठ बनने का लाभ नहीं प्राप्त कर पाता। जबकि पहलवान की प्रत्येक क्रिया अपने लक्ष्य के लिए भावना एवं संकल्प से अनुप्रमाणित होती है। फलस्वरूप वह अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सफल होता है।
On exploring the difference, the only conclusion comes that just completing the activities is not enough. If there is no element of emotion and determination in it, then it will remain doubtful to get the desired result. The only reason for the laborer not being able to earn strength, despite doing more labor than the wrestler, is that his actions do not involve determination and emotion. As a result, he is not able to get the benefit of becoming strong. Whereas every action of the wrestler is attested by the feeling and determination towards his goal. As a result, he is successful in achieving his goal.
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महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...