प्रोटेस्टेंट देश
सर्वप्रथम अँगरेज भारत आकर यह समझ गए थे कि भारत में धर्मांतरण करवाने से ब्रिटिश हुकूमत का विस्तार संभव नहीं है, किंतु भारत से कच्चा माल लेकर वे अपने देश में औद्योगिक क्रांति की नींव रख सकेंगे। इसलिए ब्रिटेन जो की एक प्रोटेस्टेंट देश है, ने भारत में अपने 190 वर्षों के शासनकाल में धर्मांतरण पर शायद ही विचार किया हो। इसी कारण भारत में प्रोटेस्टेंट ईसाई बहुत कम हैं। अधिकतर ईसाई कैथोलिक हैं। इनका धर्मांतरण करवाया आयरिश, पुर्तगाली और स्पेनिस ईसाई मिशनरियों ने। उन्होंने गोवा, पुडुचेरी और देश के अन्य भागों में अपना लक्ष्य निर्धारित किया। इसके बावजूद देश में ईसाई कुल आबादी का डेढ़ प्रतिशत हैं।
First of all, the British came to India and understood that it is not possible to expand the British rule by converting in India, but by taking raw materials from India, they will be able to lay the foundation of industrial revolution in their country. Therefore Britain, which is a Protestant country, has hardly considered conversion in India during its 190 years of rule. That is why Protestant Christians are very few in India. Most Christians are Catholic. They were converted by Irish, Portuguese and Spanish Christian missionaries. He set his target in Goa, Puducherry and other parts of the country. Despite this, Christians constitute 1.5 percent of the total population in the country.
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महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...