आर्यसमाज विवाह सहायता अन्नपूर्णा इन्दौर द्वारा विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी
आर्यसमाज विवाह करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ के लिए आप मो. 9302101186 पर (समय- प्रातः 10 बजे से सायं 8 तक) श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है।
आवश्यक सूचना को ध्यान से पढ़ें - इन्दौर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट का Recognized & Approved Legal केन्द्र केवल अन्नपूर्णा रोड पर दशहरा मैदान के सामने बैंक कॉलोनी में है। इंदौर में इसके अतिरिक्त अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट का अन्य कोई Authorized मन्दिर या शाखा अथवा केन्द्र नहीं है। इसके अलावा किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा चलाये जा रहे किसी भी केन्द्र या शाखा के लिए अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट जिम्मेदार नहीं है।
About Arya Samaj Annapurna Indore
Arya Marriage Booking - 9302101186
Arya Samaj are Sanskrit words meaning ‘A Noble gathering'. The foundation of Arya Samaj is based exclusively on the Vedas, which states that God is an all-powerful and formless Supreme Being who is omniscient, omnipotent, and omnipresent.
आत्मग्लानि
जहाँ नैतिकता होगी वहां सभ्यता का भौतिक स्वरूप मुखर नहीं होगा। पिता पुत्र के सामने मदिरा सेवन करता है पुत्र पिता के। धीरे से कह देते हैं कि आजकल की सभ्यता है। यदि नैतिकता होती तो मदिरा सेवन का लज्जाहीन कृत्य न होता। वे लोग मुर्ख कहलाते हैं जो पूर्ण सदाचार और नैतिकता से जीवन जीते हैं। परिवार ही नाराज रहते हैं कि आपने जीवन भर किया क्या? बच्चों की ठीक शिक्षा-दीक्षा नहीं, शहर में सुविधा युक्त मकान नहीं। जहाँ धन की भूमिका मनुष्य के महत्व को सिद्ध करती हो, वहाँ ऐसे लोग सम्मान से भी वंचित रहते हैं। लेकिन यह भी एक दीवानगी है, नैतिकता की और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की।
सत्यार्थप्रकाश मार्गदर्शक यदि किसी को मोक्ष के विषय में जानना हो, तो सत्यार्थप्रकाश का नवम समुल्लास ध्यान से पढना चाहिए। इस सम्बन्ध में बताया गया है कि योग साधना से ही मोक्ष सम्भव है। चित्तवृत्तियों का निरोध करने पर ही आत्मा के वास्तविक स्वरूप का पता चलता है। मोक्ष प्राप्ति को सबसे बड़ा पुरुषार्थ...
महान योगी और चिन्तक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने महात्मा विरजानन्द से ढाई वर्ष तक अष्टाध्यायी, महाभाष्य और वेदान्त सूत्र आदि की शिक्षा ग्रहण की। जब शिक्षा पूर्ण करने के बाद विदा की बेला आई तो दयानन्द ने कुछ लौंग गुरुदक्षिणा के रूप में गुरु के सम्मुख रखकर चरण स्पर्श करते हुए देशाटन की आज्ञा मांगी।...
सकारात्मक सोच का विकास बहुत अधिक धन-दौलत, शोहरत और बड़ी-बड़ी उपलब्धियां ही जीवन की सार्थकता-सफलता नहीं मानी जा सकती और ना ही उनसे आनन्द मिलता है। अपितु दैनिक जीवन की छोटी-छोटी चीजों और घटनाओं में आनन्द को पाया जा सकता है। लोग अक्सर अपने सुखद वर्तमान को दांव पर लगाकर भविष्य में सुख और आनन्द की कामना और प्रतीक्षा करते रहते हैं।...